Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 9 Sakhiyan Avam Shabad

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 9

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 9 Sakhiyan Avam Shabad साखियाँ एवं सबद, is a part of NCERT Solution Class 9 Hindi.

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

साखियाँ

प्रश्न 1  ‘मानसरोवर’ से कवि का क्या आशय है?

उत्तर – कवि के अनुसार मानसरोवर के दो अर्थ हैं जिसमें पहला – एक पवित्र सरोवर जिसमें हंस विहार करते हों। दूसरा – पवित्र मन मानस।

प्रश्न 2 – कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है?

उत्तर – कवि ने सच्चे प्रेमी की कसौटी यह बताई है कि एक सच्चे प्रेमी का मन सदियों विकारों से दूर होता है एवं पवित्र होता है। जब कोई व्यक्ति इनसे मिलता है तो इनके पवित्रता का असर मिलने वाले पर पड़ता है। जब हम ऐसे प्रेमी से मिलते हैं तो मन की सारी अपवित्रता एवं पाप नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 3 – तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्त्व दिया है?


उत्तर – तीसरे दोहे में कवि ने अपने अनुभव से प्राप्त की गई आध्यात्मिक ज्ञान को महत्व दिया है।

प्रश्न 4 – इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?



उत्तर – इस संसार में यदि सच्चे संत की बात करें तो सच्चा संत वही है जो जाति,धर्म एवं संप्रदाय आदि के भेदभाव से बिल्कुल दूर रहता हो। वाद-विवाद, तर्क-वितर्क, वैर-विरोध और राम रहीम आदि के चक्कर में बिना पड़े भगवान की सच्ची भक्ति करता हो। ऐसा ही व्यक्ति सच्चा संत होता है। 


प्रश्न 5 – अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है?

उत्तर – अंत के दो दोहों में कबीर दास जी ने निम्न संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है –

  1. अपने-अपने मतों को सर्वश्रेष्ठ मानने की संकीर्णता एवं किसी दूसरे के धर्म की निंदा करने की संकीर्णता की ओर संकेत किया है।
  2. ऊंचे कुल के अहंकार में जीने की संकीर्णता की ओर भी संकेत किया है।

प्रश्न 6 – किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कर्मों से? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर – किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कर्मों के द्वारा ही होती है, कुल से नहीं। यदि व्यक्ति ऊंचे कुल में जन्म लेकर भी बुरे कार्य करता है तो वह बहुत ही निंदनीय होता है। इसके विपरीत यदि किसी साधारण परिवार में जन्म लेने वाला व्यक्ति अच्छे कर्म करता है तो समाज में उसे आदरणीय माना जाता है। जैसे सूरदास, कबीरदास और तुलसीदास एवं अनेक ऋषि मुनि ऐसे थे जिन्होंने साधारण परिवार में जन्म लिया परंतु सिर्फ अच्छे कर्मों के द्वारा वह आदरणीय बन गए। वही इसके विपरीत में रावण, कंस और दुर्योधन को देखे तो बुरे कर्मों के कारण ही वह निंदनीय हो गए। 

प्रश्न 7 – काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है, भेंकन दे झख मारि।

उत्तर – इस काव्य में कवि ने एक सशक्त चित्र हमारे सामने उपस्थित किया है। सहज साधक मस्ती में हाथी पर चलते हुए जा रहे हैं और विश्व भर के कुत्ते भौंककर शांत होते जा रहे हैं। परंतु वह कुत्ते हाथी का कुछ बिगाड़ नहीं पा रहे हैं। यह चित्र व्यंगको पर एक प्रकार से व्यंग्य है और साधकों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। 

  • इस काव्य में सांगरूपक अलंकार का बहुत ही कुशलता पूर्वक प्रयोग किया गया है। ज्ञान रूपी हाथी शहद और साधना रूपी दुलीचा निंदक संसार रूपी स्वान एवं निंदा रूपी भौंकना।
  • ‘झख मारि’ मुहावरे का सुंदर प्रकार से प्रयोग किया गया है। 
  • ‘स्वान रूप संसार है’ एक बहुत ही सशक्त उपमा है। 

सबद (पद)

प्रश्न 8 – मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ता फिरता है?

उत्तर – मनुष्य अपने धर्म सोच विचार, संप्रदाय के अनुसार ईश्वर को मंदिरों मस्जिदों काबा चर्च आद।  जैसे पूजा स्थलों और धार्मिक स्थानों पर खोजता फिरता है। ईश्वर को प्राप्त करने के लिए बहुत से लोग योग साधना करते हैं, तो वहीं कुछ लोग सांसारिकता को त्याग कर सन्यासी बन जाते हैं और इन क्रियाओं के द्वारा ईश्वर को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। 

प्रश्न 9 – कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?

उत्तर – कबीर दास जी ने ईश्वर को प्राप्त करने के लिए प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है। इनके अनुसार ईश्वर ना हीं मंदिर में है, ना हीं मस्जिद में हैं एवं ना हीं चर्च में है। ईश्वर को ना ही योग साधना से प्राप्त किया जा सकता है और ना ही वैरागी बनने से। यह सब बाहरी दिखावे हैं और ढोंग हैं।  इनमें मन लगाना व्यर्थ है।

प्रश्न 10 – कबीर ने ईश्वर को ‘सब स्वाँसों की स्वाँस में क्यों कहा है?

उत्तर – कबीर दास जी का मानना यह था कि ईश्वर घट-घट में समाया है। ईश्वर प्राणी की हर सांसो में समाया हुआ है उसका वास प्रत्येक प्राणी के मन में ही होता है। 

प्रश्न 11 – कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की?

उत्तर – कबीर दास जी के अनुसार जब ईश्वर का ज्ञान आवेश जैसा होता है तो उसका प्रभाव भी चमत्कारी होता है । उससे पूरे जीवन शैली में बदलाव हो जाता है। शारीरिक बंधन भी पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं। यह परिवर्तन धीरे-धीरे बिल्कुल भी नहीं होता है बल्कि यह है एकाएक और गति से होता है। इसीलिए उसकी तुलना सामान्य हवा से बिल्कुल नहीं करना चाहिए उसकी तुलना हमें आंधी से करनी चाहिए।

प्रश्न 12 – ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर – ज्ञान की आंधी आने पर भक्तों के जीवन मैं अनेक प्रभाव पड़ते हैं। भक्तों के मन से अज्ञानता का जो भ्रम होता है वह समाप्त हो जाता है। भक्तों के मन से कूड़ा करकट जिसे हम लोग लालच आज कहते हैं वह भी निकल जाता है। भक्तों के मन मैं ईश्वर की भक्ति का भाव जाग जाता है। भक्तों का जीवन भक्ति के आनंद में डूब जाता है।

प्रश्न 13 – भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) हिति चित्त की वै श्रृंनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।

उत्तर – इसका भाव यह है कि ईश्वरीय ज्ञान हो जाने के बाद प्रभु-प्रेम के आनंद की वर्षा हुई। उस आनंद में भक्त का हृदय पूरी तरह सराबोर हो गया।

(ख) आँधी पीछे जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भीनाँ।


उत्तर – ज्ञान की आंधी ऐसी थी जिसके पश्चात जल बरसने से हमारा मन श्रीहरि अर्थात ईश्वर के भक्ति में भी भीग गया।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 14 – संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर – इस पाठ में संकलित साखियों से यह ज्ञात होता है कि कबीर दास जी समाज में फैले जाति धर्म के झगड़े, ऊँच-नीच की भावना और हिंदुओं एवं मुस्लिमों में विभाजन आदि से मुक्त समाज देखना चाहते थे। वह हिंदू और मुसलमान के रूप में राम रहीम के प्रति कट्टरता के बहुत बड़े विरोधी थे। वह समाज में समानता देखना चाहते थे कबीरदास जी यह चाहते थे कि समाज में कुरीतियां ना रहे। इसके अलावा उन्होंने ऊंचे कुल में जन्म लेने के स्थान पर साधारण कुल में जन्म लेकर अच्छे कार्य करने को श्रेष्ठ बताया है।

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