bharat mein aapatkal

In this post we are going to discuss about the भारत में आपातकाल (Bharat Mein Aapatkal)

भारत में आपातकाल (Bharat Mein Aapatkal)

भारत के इतिहास में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक की अवधि को “आपातकाल” के रूप में जाना जाता है। यह समय भारतीय लोकतंत्र के लिए एक कठिन और विवादास्पद दौर था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत भारत में आपातकाल (Bharat Mein Aapatkal) की घोषणा की। इस आपातकाल की अवधि में कई नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रताओं पर अंकुश लगाया गया और इसे भारतीय लोकतंत्र पर एक काले धब्बे के रूप में देखा जाता है।

आपातकाल की पृष्ठभूमि

1970 के दशक की शुरुआत में भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही थी। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध, 1973 के तेल संकट, और आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता ने देश को एक गंभीर आर्थिक संकट की ओर धकेल दिया था। 1975 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक विवादित फैसले में इंदिरा गांधी के 1971 के लोकसभा चुनाव को अवैध घोषित कर दिया और उन्हें पद छोड़ने का आदेश दिया। इस फैसले ने भारतीय राजनीति में भारी उथल-पुथल मचा दी और इंदिरा गांधी की स्थिति को कमजोर कर दिया।

आपातकाल की घोषणा

25 जून 1975 को, इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत भारत में आपातकाल (Bharat Mein Aapatkal) की घोषणा करवाई। इस घोषणा के तहत देश भर में नागरिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, सेंसरशिप लागू कर दी गई और विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। इस अवधि में मीडिया पर कड़ी सेंसरशिप लगी रही और किसी भी प्रकार की असहमति या विरोध को दबा दिया गया।

आपातकाल के प्रभाव

1. नागरिक अधिकारों का हनन:- भारत में आपातकाल (Bharat Mein Aapatkal) के दौरान, नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए। बिना वारंट गिरफ्तारी, लंबी अवधि के लिए हिरासत और प्रेस की स्वतंत्रता पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए।

2. विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी:- प्रमुख विपक्षी नेताओं, जैसे जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और अन्य को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। यह कदम विपक्षी दलों को कमजोर करने और विरोध की आवाज को दबाने के लिए उठाया गया था।

3. जबरन नसबंदी:- जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर बड़े पैमाने पर जबरन नसबंदी कार्यक्रम चलाया गया, जिससे कई लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

4. प्रेस सेंसरशिप:- प्रेस की स्वतंत्रता पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए और सरकार के आलोचनात्मक लेख और समाचारों को प्रकाशित करने पर रोक लगा दी गई। 

आपातकाल का अंत

भारत में आपातकाल (Bharat Mein Aapatkal) की समाप्ति 21 मार्च 1977 को हुई, जब इंदिरा गांधी ने आम चुनाव की घोषणा की। इस चुनाव में जनता पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में नई सरकार बनी। आपातकाल के दौरान हुए अत्याचारों और नागरिक अधिकारों के हनन के कारण कांग्रेस पार्टी को भारी नुकसान हुआ और इंदिरा गांधी को पद से हटना पड़ा।

निष्कर्ष

भारत में आपातकाल की अवधि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक काला अध्याय है। इसने दिखाया कि कैसे सत्ता के दुरुपयोग से लोकतांत्रिक संस्थाएं और नागरिक अधिकार खतरे में पड़ सकते हैं। हालांकि, इस अवधि ने भारतीय जनता को अपनी लोकतांत्रिक शक्तियों और अधिकारों के प्रति और अधिक सजग और जागरूक बना दिया। आपातकाल के बाद भारतीय लोकतंत्र ने अपनी ताकत और स्थिरता को पुनः प्राप्त किया और यह सुनिश्चित किया कि ऐसी स्थिति दोबारा न आने पाए।

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