Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 12 question answer Kaidi Aur Kokila

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 12 कैदी और कोकिला

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1 – कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी?

उत्तर – कोयल की कूक सुनकर कवि को यह लगता कि कोकिल मुझसे कुछ जैसे कहना चाहती है। या फिर उसे लगातार लड़ते रहने की सलाह देना चाहती है। या फिर कोकिल उसके यातनाओं के दर्द को अपने अंदर भी बाँटना चाहती है। उसको लगता है कि कोकिल कवि के दुखो को देखकर आँसू बहाती रहती हैं। और चुपचाप अँधेरे से लड़ कर विद्रोह की ज्याला और चेतना जगा रही है। इसलिए अंतिम समय में कवि कोकिल के इशारों पर आत्म-बलिदान करने के लिए तैयार हो जाते है

प्रश्न 2 – कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई?

उत्तर – कवि ने कोकिल के बोलने पर निम्न प्रकार के कारणों की संभावना बताई होंगी वह निम्न है-

कोयल जेल के अंदर बंद सभी वीर क्रांतिकारियों को देश में गरीब देशवासियों की बुरी दशा के बारे में बताने आयी हुई है यह हो सकता है।

कोयल कैद हो रखे वीर क्रांतिकारियों को धैर्य एवं संयम बँधाने एवं उन वीरों को दिलासा देने आई हुई है।

कोयल उन वीर क्रांतिकारी कैदियों के दुखों पर प्यार भरा मरहम लगाने आई हुई है।

यह भी हो सकता है की वह कोयल पागल हो गई है जिस कारण से वो आधी रात में चीख रही है।

प्रश्न 3 – किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों?

उत्तर – इस पाठ में देखा जाये तो तम के प्रभाव से ब्रिटिश शासन की तुलना की गई हैं। क्युकी ब्रिटिश शासकों ने भारत की बेक़सूर भारतीयों पर असहनीय अत्याचार किया। ब्रिटिश शासको ने स्वतंत्रता सेनानियों को कारागार में डाल कर अलग -अलग तरह के कष्ट देते रहे। उनके साथ जानवरो जैसा व्यवहार किया जाता था।

प्रश्न 4 – कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर – पराधीन भारत की जेलों में भारतीयों को जानवरो की तरह रखा जाता था। उनको वह पर ऐसे दुःख दर्द दिए जाते थे कि सुनकर ही आँखों में आंसू आ जाते हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं

– उन्हें अंधेरो वाली जेलों में रखते थे।

– उन्हें पहनने के लिए तन भर कपडे भी नहीं देते थे।

– उन्हें कभी भी जेल से निकला भी नहीं जाता हमेशा जेल में ही पड़े रखते थे।

– उनके साथ बहुत दुरव्यव्हार किया जाता था।

– उनको बात – बात पर तड़पा – तड़पा कर मारा जाता था।

– उनको पेट भर खाना पीना भी नहीं देते थे।

प्रश्न 5 – भाव स्पष्ट कीजिए

(क) मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो!

उत्तर – कवि के अनुसार, वैसे तो इस दुनिया में दुःख ही दुःख हैं। यदि कहीं कुछ इस दुनिया में मधुरता और सरलता बची है तो यह कोयल के मधुर स्वर में बची है। अतः कोयल अपने मृदुलता की देख रेख करने वाली है। वह उनसे कहता है कि वैसे तुम जेल में अपना मृदुल आवाज गुँजाकर उससे क्या बताना चाहती हों।

(ख) हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कुँआ।

उत्तर – पंक्ति में असहनीय दुखो को झेलता हुआ कवि स्वाभिमानपूर्वक कहता है कि वे सब अपने पेट पर कोल्हू का जूआ कस कर खंजर चला रहा है। इसमें आशय यह है कि उन लोगो से जानवरो जैसा सख्त काम करवाया जाता था। वो लोग इसके बाद भी कभी हार नहीं मान रहे थे । इसी से ब्रिटिश सरकार का दिमाग ठिकाने पड़ने लगी थी । ब्रिटिश सरकार को यह ज्ञान होने लगा था। की अब इन हिन्दुस्तानियों पर कोई अत्याचार करने का कोई फायदा नहीं हैं और वे सफल नहीं हो सकते।

प्रश्न 6 – अर्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा है?

उत्तर – आधी रात को कोयल की चीख सुनकर कवि को यह अंदेशा होता है कि उसने भारतीयों के नाराजगी एवं क्रोध की ज्वाला को देख लिया होगा। वह ज्वाला जंगल में लगने वाली आग से भी तेज और खतरनाक रही होगी। कोयल उसी आग के ज्वाला की सूचना देने जेल के परिसर के पास आई हैं।

प्रश्न 7 – कवि को कोयल से ईष्र्या क्यों हो रही है?

उत्तर – कवि को कोयल से बहुत अधिक ईर्ष्या हो रही है कवि के कोयल से ईर्ष्या करने का सबसे बड़ा कारण यह है की कोयल को पूर्ण रूप से आजादी मिली हुई है कोयल पूरी तरह से आजाद है, उसको कोई भी रोक-टोक नहीं है।  कोयल को रोकने वाला कोई भी नहीं है परन्तु वहीँ यदि हम कवि को देखे तो वह जेल के अंदर कैद है उसको कैद करके रखा गया है। कोयल हरियाली का सुख लेती है, जबकि कवि काली कोठरी के अंधेरो में जीने के लिए विवश है। कोयल के गान को जो भी लोग सुनते हैं सभी लोग ही उसके गान की तारीफ करते हैं, परन्तु कवि का दुख जाताना भी बहुत ही बड़ा गुनाह हो रहा है इसीलिए कवि दुखी है।

प्रश्न 8 – कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कौन सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है?

उत्तर – इस पाठ के कवि के स्मृति पटल पर कोकिला की कर्णप्रिय बहुत ही सुन्दर और मधुर ध्वनि की स्मृतियाँ मौजूद हैं, जिनको अब कवि नष्ट करने का प्रयास कर रही है।

प्रश्न 9 – हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है?

उत्तर – गहना उन आभूषणों कहा जाता है, जो उस आभूषण को धारण करे तो उसका गौरव और सौंदर्य को अधिक बढ़ाए। पं. माखनलाल चतुर्वेदी ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए स्वयं की इच्छा से संघर्ष का रास्ता अपनाया था, उन्होंने जेल को ही स्वयं का सबसे प्रिय आवास एवं हाथ में पहने हथकड़ियों को ही अपना गहना माना था। पं. माखनलाल चतुर्वेदी जी ने किसी गलत कार्य के लिए हथकड़ी को नहीं पहना था। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के महान उद्देश्य के लिए ही हाथों में हथकड़ियाँ स्वीकार कीं थी। इसी के कारण से उनका गौरव और बढ़ा। समाज ने उन्हें उन हथकड़ियों को पहनने के कारण ही अत्याधिक प्रतिष्ठा दी। यही कारण है की उन्होंने अपनी उन हथकड़ियों को गहना कहा है।

प्रश्न 10 – ‘काली तू …. ऐ आली!’-इन पंक्तियों में ‘काली’ शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।

उत्तर – ‘काली तू … ऐ आली!’ इन पंक्तियों में काली शब्द की कई बार आवृत्ति हुई है। इस शब्द का अर्थ भी उसके सन्दर्भ के अनुसार ही है। इन संदर्भ के द्वारा काली शब्द के निम्न अनेक प्रकार के अर्थ हमको देखने को मिलते हैं-

– हथकड़ी, रात, कोयल आदि इन सभी शब्दों का रंग काला है यह बताने के लिए।

– अंग्रेजों के द्वारा किये गए अन्याय भरे कारनामें को भी बताने के लिए।

– दूसरों पर निर्भर भारतीयों का भविष्य अंधकारमय है यह बताने के लिए।

– अंग्रेज़ों के प्रति हम भारतवासियों के मन के अंदर आने वाले आक्रोश को बताने के लिए।

प्रश्न 11 – काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए

(क) किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं?

उत्तर –  प्रस्तुत काव्य-पंक्ति में जेल के अंदर की यातना को दावानल की ज्वाला कहा गया है। ब्रिटिशों के जेलों की असहनीय यातना के लिए ही यह उपमान सटीक तरह का बना है।

– इसके अंदर कोयल की प्यारी कूक को चीख मानकर कवि उससे प्रश्न करने का प्रयास कर रहा है। कोयल का मानवीकरण अब बहुत प्रभावशाली बना है।

– दावानल की ज्वाला के अंदर रूपकातिशयोक्ति एवं अनुप्रास अलंकार मौजूद है।

– प्रस्तुत पाठ के अंदर प्रश्न शैली का इस्तेमाल भी बहुत प्रभावी रूप का बन पड़ा है।

(ख) तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी-मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी!

उत्तर –  इस का सबसे बड़ा कारण यह है की कोयल की बहुत ही अधिक सूंदर एवं मधुर सी आवाज़ जिसे हम कूक भी कहते हैं, एवं जेल के भीतर बंद कवि की सजा का तुलनात्मक वर्णन बहुत ही अधिक मार्मिक प्रकार से हो पाया है। कोयल सभी जगह पर प्रशंसा ही पाती हैं, परन्तु कवि के लिए तो अब रोना भी संभव नहीं है।

इसी कारण की वजह से कोकिला का मानवीकरण भी बहुत ही अधिक सुंदर रूप से बन पाया है। कवि को अब यह लगता है, कोयल रणभेरी बजाने वाली एक सेना की बहुत ही बहादुर स्वतंत्रता-सेनानी है एवं वह कोयल अपनी कूक की मदद से संघर्ष करने की भी प्रेरणा प्रदान कर रही है।

– भाषा बहुत ही सरल है, प्रवाहमयी है, संगीतात्मकता है एवं तुकांत है।

– ‘तेरी-मेरी’ के अंदर अनुप्रास एवं स्वरमैत्री का संगम भी स्थित है।

रचना एवं अभिव्यक्ति

प्रश्न 12 – कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सुनता होगा लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है?

उत्तर – छोटे-छोटे से पक्षियों का चहकना सुनकर भी कवि सिर्फ कोयल से ही बात करता है क्योंकि कोयल का स्वर बाकि के अन्य पक्षियों की तुलना में अधिक मधुर एवं कर्णप्रिय होती है। कोयल ही आधी रात्रि सुनसान में चिल्ला रही थी। कोयल की मधुर कैंक में ही कवि को क्रांतिकारियों का संदेश होने की संभावना लगी थी।

प्रश्न 13 – आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार क्यों किया जाता होगा?

उत्तर – ब्रिटिश सरकार पूरी तरह से भारत की स्वतंत्र होने के विरोध में थी। ब्रिटिश सरकार क्रांतिकारियों को पूर्णतः दबाना चाहती थी। इसलिए वह क्रांतिकारियों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से पीड़ित भी करती थी। क्रांतिकारियों को मानसिक रूप से तोड़ने के लिए उन्हें चोर, अपराधी एवं बटमारों के साथ रखती थी एवं साधारण अपराधियों की तरह ही दुर्व्यवहार भी किया करती थी।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न 14 – पराधीन भारत की कौन-कौन सी जेलें मशहूर थीं, उनमें स्वतंत्रता सेनानियों को किस-किस तरह ही यातनाएँ दी जाती थीं? इस बारे में जानकारी प्राप्त कर जेलों की सूची एवं स्वतंत्रता सेनानियों के नामों को राष्ट्रीय पर्व पर भित्ति पत्रिका के रूप में प्रदर्शित करें।

उत्तर – हमारे उस समय के पराधीन भारत में निम्न जेलें सबसे अधिक मशहूर थीं-

– अंडमान निकोबार में स्थित जेल

– पोरबंदर में स्थित जेल

– इलाहाबाद में स्थित जेल

– कोलकाता में स्थित जेल

– पूना की यरवदा में स्थित जेल

इन्हीं निम्न जेलों में ही स्वतंत्रता के सेनानियों को अमानवीय स्थिति में रखा जाता था। उन्हें सीलन से भरे हुए छोटे-छोटे कमरों में ही रखा जाता था ताकि वे बीमार भी हो जाएँ। उनको पेटभर के खाना भी नहीं प्रदान किया जाता था। उनके साथ जानवरों के जैसा काम भी करवाया जाता था। उनको बात-बात पर गालियाँ दी जाती थी और मारा-पीटा भी जाता था। भित्ति पत्रिका पर प्रदर्शन करने का कार्य सभी छात्र स्वयं ही करें।

प्रश्न 15 – स्वतंत्र भारत की जेलों में अपराधियों को सुधारक हृदय परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जाता है। पता लगाइए कि इस दिशा में कौन-कौन से कार्यक्रम चह रहे हैं ?

उत्तर – स्वतंत्र भारत के जेलों में अपराधियों को सुधारने के लिए अनेकों प्रयास किये जाते हैं, उनका हृदय परिवर्तित करने के लिए अनेकों प्रकार के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं; वह निम्न हैं –

– अपराधियों को लघु एवं कुटीर सभी प्रकार के उद्योगों का प्रशिक्षण दिया जाता है।

– सभी अपराधियों को नशा आदि की वस्तुओं को न प्रयोग करने की प्रेरणा प्रदान करने के लिए नशा मुक्ति केंद्र आदि चलाये जाते हैं।

– अपराधियों के स्वास्थ्य के लिए उनको योग-व्यायाम आदि भी सिखाया जा रहा है।

– अपराधियों के शिक्षा का प्रबंध भी किया गया है।

– अनेकों प्रकार के कार्यक्रमों के द्वारा अपराधियों का मनोरंजन भी किया जाता है।

– समय-समय पर अपराधियों के लिए प्रवचन भी आयोजित कराये जाते हैं।

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