गोलमेज सम्मेलन Golmej Sammelan

इस पोस्ट में हम आपको गोलमेज सम्मेलन (Golmej Sammelan) के बारे में पूरी जानकारी देंगे की आखिर यह है क्या? कैसे शुरू हुआ एवं क्या इसकी जड़ें थी।

मुख्य बिंदु

गोलमेज सम्मेलन क्यों हुआ ?
प्रथम गोलमेज सम्मेलन 
गाँधी इरविन समझौता 
द्वितये गोलमेज सम्मेलन 
तीसरा गोलमेज सम्मेलन

गोलमेज सम्मेलन (Golmej Sammelan) क्यों हुआ ?

मई 1930 में साइमन कमीसन ने एक रिपोर्ट प्रकाशित किया जिसमे भारत के सामजिक, राजनैतिक, धार्मिक और आर्थिक तथ्यों पर चर्चा की गयी थी लेकिन कांग्रेस और उसके सहियोगी संगठन ने साइमन कमीसन के द्वारा प्रस्तुत की गयी रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया कांग्रेस और उसके सहियोगी संगठन का मानना था की साइमन कमीसन में कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था कांग्रेस के विरोध को देखते हुए अंग्रेजी सरकार ने भारतीय नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए समस्याओं का समाधान निकलने के लिए लन्दन में गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया। गोलमेज सम्मेलन (Golmej Sammelan)

प्रथम गोलमेज सम्मेलन

प्रथम गोलमेज सम्मेलन 12 november 1930 से 19 january 1931 में लंदन के सेंट जेम्स पैलेस में हुआ था प्रथम गोलमेज सम्मेलन का उद्घाटन 12 november 1930 को ब्रिटैन के राजा जॉर्ज पंचम ने किया था प्राथयम गोलमेज सम्मेलन की अध्यक्षता ब्रिटैन के प्रधानमत्री रेम्जे मेक्डोनाल्ड ने किया था प्रथम गोलमेज सम्मेलन में कुल 89 लोगो ने भाग लिया था इसमें 16 भारतीय राजाओं ने, सीखो की तरफ से राजा सम्पूर्ण, निचले वर्ग की तरफ से डॉ बर अम्बेडकर, हिन्दू महासभा की तरफ से जयकर और बीएस मुंजे, मुस्लिम लीग की तरफ से मुहम्मद अली जिन्ना,आगा खान आदि ने भाग लिया था इस सम्मेलन में सिर्फ कांग्रेस ने भाग नहीं लिया था इस सम्मेलन में मुस्लिमों और डॉ अमेडिकेर की तरफ से अलग निर्वाचन मंडल की बवात कही गई थी प्रथम सम्मेलन में लोगो में आपसी सहमति न हो पाने की वजह यह असफल हो गया प्रथम गोलमेज सम्मेलन के बाद अंग्रेजी सरकार सौहार्द करने के लिया गाँधी जी को जेल से छोड़ दिया 5 मार्च 1931 गाँधी जी और लार्ड इरविन के के बिच समझौता हुआ जिसे गाँधी इरविन समझौता के ना से जानते है। गोलमेज सम्मेलन (Golmej Sammelan)

गाँधी इरविन समझौता

1 – जितने भी बंदियों पर गंभीर हिंसा के अपराध है उन्हें छोड़ कर सबको रिहा कर दिया जाये। 
2 – भारतियों को समुंदर किनारे नमक बनाने की अनुमति दी जाये। 
3 – भारतीय लोगो को शराब और विदेशी दुकानों के सामने धरना देने की अनुमति दी जाये। 
4 – गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को वापस लेने का वचन दिया। 
5 – गाँधी जी ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने का वचन दिया। 
6 – गाँधी जी ने ब्रिटिश सामानों का बहिस्कार न करने का वचन दिया।

द्वितीय गोलमेज सम्मेलन

द्वितीय गोलमेज सम्मेलन को 7 सितम्बर 1931 से 1 दिसंबर 1931 को लंदन के सेंट जेम्स पैलेस में हुआ इस सम्मेलन में कांग्रेस की तरफ से महात्मा गाँधी, मदनमोहन मालवीय, सरोजनी नायडू आदि ने भाग लिया  इस सम्मेलन में मुस्लिमन की तरफ से अलग निर्वाचन की मांग की गई तो गाँधी जी मान गए लेकिन डॉ अम्बेडकर ने निचले वर्ग के लिए अलग निर्वाचन की माँग की तो गाँधी जी ने उसका विरोध किया महात्मा गाँधी के विरोध के चलते द्वितीय गोलमेज सम्मेलन को समाप्त कर दिया गया।गोलमेज सम्मेलन (Golmej Sammelan)

तीसरा गोलमेज सम्मेलन

तीसरा गोलमेज सम्मेलन 17 नवंबर 1932 से २४ दिसंबर 1932 के बीच हुआ इस गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस  को छोड़कर 46 पप्रतिनिधि ने हिस्सा लिया इसके बाद एक श्वेत पत्र जारी किया गया और इस पर विचार करने के लिए लार्ड लिनलिथगो की अध्यक्षता में एक संयुक्त समिति का गठन किया गया संयुक्त समिति ने 22 नवंबर 1934 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और इसी के आधार पर भारत सचिव सैमुअल होर ने 19 दिसंबर 1934 को एक विधायक न ब्रिटिश  संसद में पेश किया 3 अगस्त 1935 को ब्रिटिश सम्राट के द्वारा विधायक को मंजूरी दी गई और यह विधायक भारत शासन अधिनियम 1935 के नाम से इतिहास में जाना गया। गोलमेज सम्मेलन (Golmej Sammelan)

इस पोस्ट में हम आपको गोलमेज सम्मेलन (Golmej Sammelan) के बारे में पूरी जानकारी देंगे की आखिर यह है क्या? कैसे शुरू हुआ एवं क्या इसकी जड़ें थी।

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