soviet sangh ka vighatan

In this post we are going to discuss about the सोवियत संघ का विघटन​

सोवियत संघ का विघटन कब हुआ?

सोवियत संघ (USSR) का विघटन 1991 में हुआ, जो 20वीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। यह घटना न केवल अंतरराष्ट्रीय राजनीति को बदलने वाली थी, बल्कि शीतयुद्ध के अंत का प्रतीक भी बनी। सोवियत संघ का गठन 1922 में हुआ था और इसके विघटन के साथ 69 वर्षों का एक बड़ा साम्राज्य खत्म हो गया। इस लेख में, हम विस्तार से समझेंगे कि सोवियत संघ का विघटन कब और क्यों हुआ और इसके पीछे कौन से कारक जिम्मेदार थे।

सोवियत संघ का उदय

सोवियत संघ का गठन 1922 में रूस, यूक्रेन, बेलारूस, और ट्रांसकॉकसियन फेडरेशन (जो बाद में जॉर्जिया, आर्मेनिया और अज़रबैजान में विभाजित हुआ) के गठजोड़ से हुआ था। यह साम्यवादी विचारधारा पर आधारित एक संघीय राज्य था, जिसमें मार्क्सवाद-लेनिनवाद की विचारधारा को लागू किया गया था। व्लादिमीर लेनिन इसके पहले नेता थे, और उनके बाद जोसेफ स्टालिन ने सत्ता संभाली।

विघटन की पृष्ठभूमि

सोवियत संघ के विघटन की प्रक्रिया 1980 के दशक में शुरू हुई, जब मिखाइल गोर्बाचेव ने सुधारों की एक श्रृंखला लागू की। ये सुधार ‘ग्लासनोस्त’ (खुलापन) और ‘पेरेस्त्रोइका’ (पुनर्गठन) के नाम से जाने जाते थे। इन सुधारों का उद्देश्य सोवियत संघ की आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था को अधिक लचीला और प्रभावी बनाना था। हालांकि, इन सुधारों का उल्टा प्रभाव पड़ा और इससे सोवियत संघ के अंदरूनी तनाव और असंतोष बढ़ गया। सोवियत संघ का विघटन

गोर्बाचेव की नीतियाँ और उनका प्रभाव

मिखाइल गोर्बाचेव ने 1985 में सोवियत संघ की कमान संभाली। उन्होंने महसूस किया कि देश की अर्थव्यवस्था और राजनीतिक प्रणाली दोनों ही कमजोर हो चुकी हैं। ग्लासनोस्त के तहत उन्होंने प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा दिया, जिससे सरकार की आलोचना बढ़ी। पेरेस्त्रोइका के तहत उन्होंने बाजार आधारित सुधारों को लागू करने का प्रयास किया, लेकिन इससे आर्थिक स्थिति और खराब हो गई।

गोर्बाचेव की नीतियों ने सोवियत संघ के विभिन्न गणराज्यों में आजादी की मांग को बढ़ावा दिया। बाल्टिक राज्यों (लिथुआनिया, लातविया, और एस्टोनिया) ने सबसे पहले स्वतंत्रता की मांग उठाई, जिसके बाद अन्य गणराज्य भी इस आंदोलन में शामिल हो गए। सोवियत संघ का विघटन

शीतयुद्ध का अंत और सोवियत संघ की स्थिति

1989 में बर्लिन की दीवार गिर गई और पूर्वी यूरोप के साम्यवादी शासन एक-एक कर गिरने लगे। यह शीतयुद्ध के अंत का प्रतीक बना और साथ ही सोवियत संघ की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति भी कमजोर हो गई। गोर्बाचेव ने इन देशों में साम्यवादी शासन को बनाए रखने के लिए बल प्रयोग से इनकार कर दिया, जिससे सोवियत संघ के नियंत्रण में गिरावट आई। सोवियत संघ का विघटन

1991 की घटनाएँ और अंतिम विघटन

1991 का वर्ष सोवियत संघ के लिए निर्णायक साबित हुआ। मार्च 1991 में, एक जनमत संग्रह आयोजित किया गया जिसमें अधिकांश मतदाताओं ने सोवियत संघ को बनाए रखने के पक्ष में वोट दिया। लेकिन, इसके बावजूद, कई गणराज्यों ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। अगस्त 1991 में, कुछ कट्टरपंथी साम्यवादी नेताओं ने गोर्बाचेव के खिलाफ तख्तापलट का प्रयास किया, लेकिन यह असफल रहा। इस घटना ने सोवियत संघ की स्थिति को और भी कमजोर कर दिया।

दिसंबर 1991 में, बेलारूस, रूस, और यूक्रेन के नेताओं ने बेलावेजा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें सोवियत संघ को भंग करने और उसकी जगह ‘स्वतंत्र राज्य संघ’ (Commonwealth of Independent States) के गठन का निर्णय लिया गया। इसके बाद, 25 दिसंबर 1991 को मिखाइल गोर्बाचेव ने सोवियत संघ के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया और अगले दिन आधिकारिक रूप से सोवियत संघ का विघटन हो गया।

सोवियत संघ के विघटन के कारण

सोवियत संघ के विघटन के कई कारण थे:

  1. आर्थिक समस्याएँ: सोवियत संघ की केंद्रीकृत योजना प्रणाली असफल हो रही थी और अर्थव्यवस्था लगातार गिरावट की ओर थी।
  2. सामाजिक असंतोष: लंबे समय से दबाई जा रही असंतोष की भावना और नागरिक अधिकारों की मांग बढ़ रही थी।
  3. राजनीतिक विफलता: गोर्बाचेव के सुधारों ने सोवियत संघ के केंद्रीय शासन को कमजोर कर दिया।
  4. जातीय तनाव: विभिन्न गणराज्यों में राष्ट्रीयता और स्वायत्तता की मांग ने सोवियत संघ को अंदर से तोड़ दिया।

सोवियत संघ के विघटन का प्रभाव

सोवियत संघ के विघटन का प्रभाव न केवल उन 15 स्वतंत्र गणराज्यों पर पड़ा, जो इससे बने, बल्कि वैश्विक राजनीति पर भी इसका व्यापक असर हुआ। शीतयुद्ध का अंत हुआ, और दुनिया एक ध्रुवीय बन गई, जिसमें अमेरिका प्रमुख शक्ति के रूप में उभरा। इसके अलावा, वैश्विक अर्थव्यवस्था और सुरक्षा संरचना में भी बड़े बदलाव आए।

निष्कर्ष

सोवियत संघ का विघटन एक जटिल प्रक्रिया थी, जिसमें कई आंतरिक और बाहरी कारक शामिल थे। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के साथ ही एक युग का अंत हो गया। यह घटना न केवल इतिहास के पन्नों में दर्ज है, बल्कि इसके प्रभाव आज भी महसूस किए जाते हैं। सोवियत संघ का विघटन

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