Socialism in Europe and the Russian Revolution Class 9 Notes History Chapter 2

Socialism in Europe and the Russian Revolution Class 9 Notes History Chapter 2

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यूरोप में समाजवाद

परिचय: समाजवाद एक आदर्शवादी विचारधारा है जो समाज में समानता, न्याय, और समाजिक बदलाव की प्राथमिकता को प्रमोट करती है। यह सोशलिस्टिक आदर्शवादी विचारधारा की एक प्रमुख शाखा है जिसने 18वीं और 19वीं सदी में यूरोप में प्रभावी रूप से प्रवृत्ति की।

महत्वपूर्ण सिद्धांत:

समानता: समाजवाद के अनुसार, समाज में सभी लोगों को बराबरी का अधिकार होना चाहिए, चाहे वे धनी हों या गरीब।

न्याय: यह विचारधारा न्याय की महत्वपूर्णता को मानती है और आर्थिक और सामाजिक असमानता को कम करने के लिए उपायों की प्रस्तावना करती है।

सामाजिक बदलाव: समाजवादी विचारधारा का लक्ष्य समाज में सुधार करना है, जिससे लोगों की जीवनस्तर में सुधार हो सके।

महत्वपूर्ण घटनाएँ:

कार्ल मार्क्स और फ्रेड्रिक एंगल्स: इन्होंने ‘कम्यूनिस्ट मेनिफेस्टो’ लिखा जिसमें समाजवाद की मुख्य आवश्यकताओं और सिद्धांतों की बात की गई।

समाजवादी पार्टियाँ: यूरोप में विभिन्न समाजवादी पार्टियाँ उत्पन्न हुईं जो अपने-अपने क्षेत्र में समाज में सुधार की दिशा में काम करती थीं।

इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन: इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन के समय उद्यमिता और वित्तीय असमानता बढ़ गई, जिससे समाजवाद की मांग बढ़ी।

महत्वपूर्ण व्यक्तित्व:

कार्ल मार्क्स और फ्रेड्रिक एंगल्स: उन्होंने 1848 में ‘कम्यूनिस्ट मेनिफेस्टो’ प्रकाशित किया, जिसमें वे व्यापारी व्यवस्था और वर्ग विभाजन के खिलाफ उत्तरदायिता की मांग करते थे।

जॉन स्टुअर्ट मिल: उन्होंने स्त्री समानता के पक्ष में आवाज उठाया और महिलाओं के अधिकारों की बढ़ती मांग की।

लोउिस ब्लैन: फ्रांस के लोउिस ब्लैन ने समाजवाद के सिद्धांतों को आगे बढ़ाते हुए अपनी किताब “सोशलिज्म और लाबर” में समाजवाद की विचारधारा को विस्तार से व्यक्त की।

रोबर्ट ओवेन: ब्रिटिश उद्यमी रोबर्ट ओवेन ने समाजवाद की विचारधारा को बच्चों के शिक्षा और कल्याण पर विशेष ध्यान दिया।

पार्टियाँ और संगठन:

1. समाजवादी पार्टियाँ और संगठनों ने यूरोप के विभिन्न देशों में उत्पन्न होकर गरीब वर्गों की मदद करने का प्रयास किया।

3. जर्मनी में सोसियल डेमोक्रेटिक पार्टी (सोसिडेम) और ब्रिटिश सोशलिस्ट पार्टी जैसी पार्टियाँ समाजवादी आदर्शवाद के प्रतिनिधित्वक थीं।

समाजवाद की उत्थान और प्रेरणा:

1. समाजवाद की शुरुआत उस समय हुई जब यूरोप में इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन के कारण समाज में गहरी असमानता व्याप्त थी। इस असमानता ने श्रमिकों, किसानों, और अन्य गरीब वर्गों के लिए दुखद परिणाम पैदा किए।

2. समाजवादियों ने इस असमानता और अधिकारी वर्ग के त्यागपन के खिलाफ आवाज उठाया और उन्होंने समाज में समानता और न्याय की बढ़ती मांग की।

समाजवाद के प्रभाव:

1. समाजवादी विचारधारा ने समाज में न्याय और समानता की मांग को आगे बढ़ाया और लोगों के अधिकारों की प्रोत्साहना की।

2. यह आंदोलनों और समाज में सुधार की दिशा में प्रेरित करने के साथ-साथ लोगों के राजनीतिक अधिकारों को मजबूत करने में भी सहायक हुआ।

यूरोप में समाजवाद की विचारधारा का विकास विभिन्न सीमाओं और परिस्थितियों में हुआ था:

अर्थशास्त्रिय सीमा: समाजवाद का उत्थान और विकास आदिकाल से इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन के साथ शुरू हुआ था। यह समय था जब आर्थिक और सामाजिक असमानता ने श्रमिकों और गरीब वर्गों की बढ़ती मुश्किलें बढ़ाई।

आर्थिक सीमा: यूरोप में उद्यमिता वर्ग और श्रमिक वर्ग के बीच बढ़ती असमानता एक महत्वपूर्ण सीमा थी जिसने समाजवाद की प्रेरणा को बढ़ाया।

राजनीतिक सीमा: यूरोपीय समाज में तबादला हो रहा था और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी सुधार आवश्यक था। समाजवाद की विचारधारा ने नये राजनीतिक आदर्श की प्रेरणा दी और लोगों को राजनीतिक अधिकारों की मांग करने के लिए प्रोत्साहित किया।

सामाजिक सीमा: समाजवादी विचारधारा ने उन सामाजिक सीमाओं को प्रतिष्ठित किया जो गरीब, श्रमिक, किसान, और अन्य नीचे वर्गों के लिए तनिक भी उपयुक्त नहीं थे।

यूरोप में समाजवाद की विचारधारा का उद्यम विभिन्न सीमाओं में हुआ और यह असमानता, न्याय, और सामाजिक सुधार की मांग को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह सीमाएँ उस समय के आर्थिक, सामाजिक, और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में थी जब विचारधाराओं का नया उदय हो रहा था और लोग अधिक न्याय और समानता की मांग कर रहे थे।

समाजवाद की फैलाव: समाजवादी विचारधारा के प्रभावस्वरूप, यूरोप में विभिन्न समाजवादी पार्टियाँ और संगठन उत्पन्न हुए। ये पार्टियाँ समाज में सुधार की दिशा में काम करती थीं और मज़दूरों, किसानों और अन्य असमानता प्रतिष्ठित वर्गों की मदद करने के लिए संघर्ष करती थीं।

रूसी क्रांति

रूसी क्रांति एक महत्वपूर्ण घटना थी जिसने 20वीं सदी की प्रारंभिक दशकों में रूस में समाज, राजनीति और आर्थिक परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का संकेत दिया। यह क्रांति बोल्शेविक पार्टी के नेतृत्व में हुई और उसने व्यक्तिगत स्वतंत्रता के स्थान पर समाजवादी सामाज की दिशा में एक नई व्यवस्था की स्थापना की।

मुख्य घटनाएँ:

1. फरवरी क्रांति (February Revolution): 1917 में रूस में एक व्यापारिक और सामाजिक क्रांति हुई जिसके परिणामस्वरूप त्सार निकोलस द्वारा संचालित सत्ता का असर कमजोर हुआ और वह सत्ता से त्यागाया गया। इससे एक संविधानसभा स्थापित हुई और त्सार की सत्ता समाप्त हुई।

2. अक्टूबर क्रांति (October Revolution): इस क्रांति में बोल्शेविक पार्टी ने व्यापारिक साम्राज्य का उन्मूलन करने के लिए क्रिस्टिना कोउलिज के आदर्शों का पालन करते हुए सत्ता में कब्जा किया। यह क्रांति रूस सोवियत सोशलिस्ट गणराज्य की नींव रखी और उसने बोल्शेविक सरकार की स्थापना की।

परिणाम:

सोवियत संघ की स्थापना: बोल्शेविक सरकार ने सोवियत सोशलिस्ट गणराज्य की स्थापना की, जिसमें श्रमिकों, किसानों और सैनिकों का सशक्तिकरण हुआ और उनके हकों का संरक्षण किया गया।

रूसी सिपाहियों का विद्रोह: क्रांति के परिणामस्वरूप, रूसी सिपाहियों के बीच में विद्रोह और असंतोष फैला, जिसने पहले से ही कमजोर त्सारीय सरकार को और भी कमजोर किया।

रूसी नागरिक युद्ध (Russian Civil War): यह युद्ध 1918 से 1922 तक चला और बोल्शेविक सरकार और उसके प्रतिद्वंद्वी शक्तियों के बीच हुआ।

रूसी क्रांति ने विश्व इतिहास में एक नये राजनीतिक और सामाजिक आयाम की शुरुआत की और सोवियत संघ के निर्माण की दिशा में कदम रखा।

रूसी क्रांति के प्रभाव:

रूसी क्रांति ने विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन की शुरुआत की थी और इसने समाज, राजनीति, और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला। यहां रूसी क्रांति के प्रभाव के कुछ मुख्य पहलुओं की संक्षिप्त व्याख्या दी गई है:

समाज में परिवर्तन: रूसी क्रांति ने रूसी समाज में गहरे परिवर्तनों की शुरुआत की। बोल्शेविक सरकार ने समाज में सामान्य लोगों के लिए समानता और न्याय की प्राथमिकता दी। ज़मींदारों से किसानों के बीच की ज़मीन का वितरण किया गया और उद्यमिता को प्रोत्साहित किया गया।

राजनीतिक परिवर्तन: रूसी क्रांति ने राजनीतिक स्वतंत्रता की दिशा में एक नई यात्रा की। बोल्शेविक सरकार ने शासन का पुनर्निर्माण किया और सोवियत संघ की स्थापना की। यह एक समाजवादी गणराज्य था जिसमें शक्ति जनता के हाथ में थी।

अर्थव्यवस्था का परिवर्तन: रूसी क्रांति ने अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया। निजी मालिकाना संप्रदायों के स्थान पर सामाजिक समानता के आधार पर एक नई अर्थव्यवस्था की शुरुआत हुई।

विश्व स्तर पर प्रभाव: रूसी क्रांति ने विश्व राजनीति और समाजवादी आंदोलनों पर भी प्रभाव डाला। इसने विश्व भर में अन्य देशों के लोगों को आत्म-सशक्ति और स्वतंत्रता की दिशा में प्रेरित किया।

ग्लोबल धाराएँ: रूसी क्रांति के प्रभाव ने दुनिया भर में समाजवादी और कम्यूनिस्ट आंदोलनों की बढ़ती हुई धाराओं को प्रेरित किया, जिनमें चीन, क्यूबा, वियतनाम, आदि शामिल हैं।

इन प्रभावों के साथ, रूसी क्रांति ने नौकरीवालों, किसानों, और आम लोगों की स्थिति में सुधार लाने का प्रयास किया और एक नई विश्वव्यापी राजनीतिक और आर्थिक प्रणाली की शुरुआत की।

रूसी क्रांति के महत्वपूर्ण सिद्धांत

प्रोलेटारियट की नेतृत्व: रूसी क्रांति के महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक था प्रोलेटारियट (श्रमिक वर्ग) की नेतृत्व की महत्वपूर्णता का आदर करना। बोल्शेविक पार्टी ने श्रमिकों को नेतृत्व देने के माध्यम से एक समाजवादी क्रांति की दिशा में कदम उठाया।

गणराज्य की स्थापना: रूसी क्रांति के सिद्धांतों में एक और महत्वपूर्ण बिंदु था गणराज्य की स्थापना का। बोल्शेविक पार्टी ने सामाजिक समानता, न्याय और व्यावसायिकता की ओर इसके कदम बढ़ाए।

उत्पादन के सामाजिक नियंत्रण: रूसी क्रांति के अनुसार, उत्पादन के स्रोत सामाज के हाथ में होने चाहिए। बोल्शेविक पार्टी ने यह सिद्धांत अपनाया कि सामाजिक समानता के लिए उत्पादन को सामाजिक नियंत्रण में लाना आवश्यक है।

युद्ध के खिलाफ विचारधारा: रूसी क्रांति के महत्वपूर्ण सिद्धांतों में युद्ध के खिलाफ विचारधारा भी शामिल थी। बोल्शेविक पार्टी ने प्रथाओं को खत्म करके शान्ति की दिशा में कदम उठाया और पहले विश्वयुद्ध में शामिल होने की अपील की।

कृषि क्षेत्र में सुधार: रूसी क्रांति के सिद्धांतों में कृषि क्षेत्र में सुधार को महत्व दिया गया। किसानों की स्थिति में सुधार करके उन्हें समृद्धि और समानता की दिशा में अग्रसर किया गया।

ये सिद्धांत रूसी क्रांति की मूलभूत आवश्यकताओं और समाज के विकास के प्रति बोल्शेविक पार्टी की दृढ़ प्रतिबद्धता को प्रकट करते हैं।

निष्कर्ष:

समाजवाद ने यूरोप में नये आदर्श की प्रेरणा दी और रूसी क्रांति ने नये राजनैतिक आयाम स्थापित किए। यह प्रक्रिया समाज में न्याय और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

परीक्षा उपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न जो मुख्यतः परीक्षाओं में देखे जाते हैं। 

प्रश्न 1: समाजवाद की उत्पत्ति कैसे हुई और उसके मुख्य सिद्धांत क्या थे?

उत्तर: समाजवाद की उत्पत्ति यूरोप में इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन के समय हुई थी। इसके मुख्य सिद्धांतों में समानता, न्याय, और उत्पादन के स्रोतों का सामाज में वितरण था।

प्रश्न 2: कार्ल मार्क्स और फ्रेड्रिक एंगल्स ने ‘कम्यूनिस्ट मेनिफेस्टो’ क्यों लिखा और उसमें क्या-क्या उन्होंने प्रस्तुत किया?

उत्तर: कार्ल मार्क्स और फ्रेड्रिक एंगल्स ने ‘कम्यूनिस्ट मेनिफेस्टो’ लिखा ताकि वे समाज में न्याय, समानता, और कपिलिस्ट प्रणाली के खिलाफ आवाज उठा सकें। उन्होंने इसमें बताया कि श्रमिकों को उनके उत्पादन का पूरा अधिकार होना चाहिए और उन्हें शासकों के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए।

प्रश्न 3: रूस में किसानों और श्रमिकों की स्थिति रूसी क्रांति के समय कैसी थी?

उत्तर: रूस में किसानों और श्रमिकों की स्थिति बेहद खराब थी। अधिकांश लोग गरीब थे, और उन्हें मानवाधिकारों की कमी थी। किसानों को जमींदारों के उत्पादन पर काम करना पड़ता था और श्रमिकों को भी दुर्बल स्थितियों में काम करना पड़ता था।

प्रश्न 4: व्लादिमीर लेनिन ने कैसे बोल्शेविक पार्टी की स्थापना की और उसके मुख्य लक्ष्य क्या थे?

उत्तर: व्लादिमीर लेनिन ने बोल्शेविक पार्टी की स्थापना की ताकि वह सोशलिस्ट विचारधारा के आधार पर रूस में सुशासन स्थापित कर सकें। उनके मुख्य लक्ष्य न्याय, समानता, और श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा थी।

प्रश्न 5: अक्टूबर क्रांति क्या थी और उसके परिणामस्वरूप क्या हुआ?

उत्तर: अक्टूबर क्रांति 1917 में हुई थी, जिसमें बोल्शेविक पार्टी ने रूस में सत्ता पर प्राप्त की। इससे बोल्शेविक सरकार की स्थापना हुई और सोवियत संघ की नींव रखी गई।

प्रश्न 6: समाजवाद और कम्यूनिज्म में क्या अंतर है?

उत्तर: समाजवाद में समाज में समानता और न्याय की मांग की जाती है, जबकि कम्यूनिज्म में सभी संसाधनों का सामाज में साझा वितरण की मांग की जाती है।

प्रश्न 7: रूसी क्रांति के बाद सोवियत संघ का निर्माण कैसे हुआ और उसकी विशेषताएँ क्या थीं?

उत्तर: रूसी क्रांति के बाद, बोल्शेविक सरकार ने सोवियत संघ की स्थापना की, जो सोशलिस्ट गणराज्य की नई व्यवस्था थी। इसमें उत्पादन के स्रोत सामाज के हाथ में थे और समाज में न्याय और समानता की आवश्यकता थी।

प्रश्न 8: यूरोप में समाजवाद का उदय कैसे हुआ और उसका क्या प्रभाव हुआ?

उत्तर: समाजवाद का उदय यूरोप में इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन के समय हुआ, जब श्रमिकों और गरीब लोगों के बीच न्याय और समानता की मांग बढ़ गई। यहने सामाजिक परिवर्तन को गति दी और नए सामाजिक आदर्श की स्थापना में मदद की।

प्रश्न 9: रूसी क्रांति का विश्व इतिहास में क्या महत्व है?

उत्तर: रूसी क्रांति विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है जोने रूस में सोशलिस्ट सरकार की स्थापना की और उसने समाज में न्याय और समानता की मांग को प्राधान्य दिया। इससे विश्व में समाजवादी और कम्यूनिस्ट विचारधारा का प्रभाव बढ़ा।

प्रश्न 10: समाजवाद और रूसी क्रांति के प्रति आपके विचार क्या हैं, और उनका आज के समय में क्या महत्व है?

उत्तर: समाजवाद और रूसी क्रांति ने समाज में न्याय, समानता, और अधिकारों की महत्वपूर्णता को प्रमोट किया। ये आदर्श समाज में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थे और उनका आज भी महत्व है क्योंकि ये सामाजिक न्याय और समानता के महत्व को सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।

प्रश्न 11: समाजवाद का यूरोप में कैसे प्रसार हुआ और उसके प्रमुख प्रेरणास्त्रोत कौन-कौन थे?

उत्तर: समाजवाद का यूरोप में प्रसार उस समय हुआ जब इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन के परिणामस्वरूप न्याय और समानता की मांग बढ़ गई। समाजवाद के प्रमुख प्रेरणास्त्रोत कार्ल मार्क्स, फ्रेड्रिक एंगल्स, और रोबर्ट ओवेन थे।

प्रश्न 12: सोवियत संघ के निर्माण में बोल्शेविक सरकार की भूमिका क्या थी और उसने कैसे नये आदर्श की ओर कदम उठाए?

उत्तर: बोल्शेविक सरकार ने सोवियत संघ के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे श्रमिकों और किसानों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए संघर्ष किया और उनके लिए नए आदर्श की ओर कदम उठाया।

प्रश्न 13: रूसी क्रांति और सोवियत संघ का प्रभाव विश्व के राजनीतिक और सामाजिक स्केप पर क्या रहा?

उत्तर: रूसी क्रांति और सोवियत संघ का प्रभाव विश्व के राजनीतिक और सामाजिक स्केप पर गहरा पड़ा। यहने दुनिया भर में समाजवाद और कम्यूनिज्म के आदर्श को प्रोत्साहित किया और राजनीतिक परिवर्तनों का केंद्र बना दिया।

प्रश्न 14: समाजवाद की विचारधारा के अनुसार समाज में समानता कैसे स्थापित की जा सकती है?

उत्तर: समाजवाद की विचारधारा के अनुसार समानता स्थापित करने के लिए समाज में विभिन्न वर्गों के बीच समान अवसर और अधिकारों का वितरण किया जाना चाहिए। उत्पादन के स्रोतों का सामाजिक नियंत्रण और उनके सार्वजनिक होने से भी समानता प्राप्त हो सकती है।

प्रश्न 15: रूसी क्रांति और सोवियत संघ के प्रभाव से क्या यूरोप में सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन हुए?

उत्तर: रूसी क्रांति और सोवियत संघ के प्रभाव से यूरोप में सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन हुए। व्यक्तिगत स्वतंत्रता, मानवाधिकारों की मांग, और न्याय की मांग के आदर्श प्रमोट किए गए, जोने बाद में यूरोप में सामाजिक परिवर्तनों का कारण बने।

प्रश्न 16: कम्यूनिज्म की व्यवस्था में सामाजिक और आर्थिक संगठन कैसे काम करते हैं?

उत्तर: कम्यूनिज्म की व्यवस्था में सामाजिक और आर्थिक संगठन समाज के सभी सदस्यों के बीच उत्पादन के स्रोतों का सामान वितरण करते हैं। इसमें सभी का योगदान समान माना जाता है और लाभ समाज के हर व्यक्ति को समान रूप से मिलता है।

प्रश्न 17: क्या समाजवाद और कम्यूनिज्म के सिद्धांत आज के समय में भी मान्य हैं?

उत्तर: समाजवाद और कम्यूनिज्म के सिद्धांत आज के समय में भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये आदर्श समाज में न्याय, समानता, और सामाजिक सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण रहे हैं। हालांकि, इनके अनुसरण के तरीके और आवश्यकताएं आधुनिक समय के साथ बदल गई हैं।

प्रश्न 18: सोवियत संघ की पतन की वजहें क्या थीं और उसका क्या प्रभाव हुआ?

उत्तर: सोवियत संघ की पतन की वजहें आर्थिक संकट, राजनीतिक दबाव, और स्वतंत्रता की कमी थीं। यहने दुनिया में गहरे राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तनों को प्रेरित किया और बिना शोर-शराबे के समाज में नए आदर्श की ओर कदम उठाया।

प्रश्न 19: समाजवाद और कम्यूनिज्म के प्रणालियों में क्या अंतर होता है?

उत्तर: समाजवाद और कम्यूनिज्म के प्रणालियों में अंतर होता है। समाजवाद में अकेले समाज में न्याय और समानता की प्राप्ति की जाती है, जबकि कम्यूनिज्म में सभी संसाधनों का सामाजिक रूप से वितरण किया जाता है।

प्रश्न 20: रूसी क्रांति की सफलता और असफलता में क्या कारण थे?

उत्तर: रूसी क्रांति की सफलता में उत्पादन के स्रोतों का सामाज में वितरण, बोल्शेविक पार्टी का संघर्ष, और सामाजिक समर्थन महत्वपूर्ण थे। असफलता में अर्थिक संकट, राजनीतिक विवाद, और बाहरी दबाव शामिल थे।

प्रश्न 21: समाजवाद और कम्यूनिज्म के सिद्धांतों का उदाहरण आज के समय की व्यवस्थाओं में कहाँ देखा जा सकता है?

उत्तर: समाजवाद और कम्यूनिज्म के सिद्धांतों का उदाहरण आज के समय में विभिन्न देशों की सामाजिक योजनाओं, नैतिक मूल्यों के बारे में विचार, और किसानों और श्रमिकों की अधिकारों की सुरक्षा में देखा जा सकता है।

प्रश्न 22: रूसी क्रांति के बाद सोवियत संघ के नागरिकों के जीवन में कैसे परिवर्तन हुआ?

उत्तर: रूसी क्रांति के बाद सोवियत संघ के नागरिकों के जीवन में सामाजिक सुधार, शिक्षा के प्रसार, स्वास्थ्य सुविधाएं, और महिलाओं के अधिकारों में सुधार देखा गया।

प्रश्न 23: क्या यूरोप में समाजवाद की आवश्यकता आज भी है? यदि हाँ, तो क्यों?

उत्तर: यूरोप में समाजवाद की आवश्यकता आज भी है क्योंकि यह समाज में न्याय और समानता की मांग को प्रोत्साहित करता है और गरीबी, असमानता, और असहमति के समस्याओं का समाधान प्रदान करता है।

प्रश्न 24: क्या रूसी क्रांति के प्रभाव से अन्य देशों में भी राजनीतिक और सामाजिक बदलाव हुए?

उत्तर: हां, रूसी क्रांति के प्रभाव से अन्य देशों में भी राजनीतिक और सामाजिक बदलाव हुए। कई देशों में यहने विभाजन और विकल्पों की महत्वपूर्णता को बढ़ावा दिया और गरीबों और असहमत वर्गों के लिए अधिकारों की सुरक्षा की मांग को मजबूत किया।

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