khadi yudh

In this post we are going to discuss about the खाड़ी युद्ध​

परिचय

खाड़ी युद्ध, जिसे प्रायः “पहला खाड़ी युद्ध” या “ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म” के नाम से भी जाना जाता है, 1990-91 में हुआ एक महत्वपूर्ण सैन्य संघर्ष था। यह युद्ध इराक और कुवैत के बीच की आक्रामकता से उत्पन्न हुआ और बाद में अमेरिका समेत अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों की भागीदारी के कारण विश्वव्यापी चर्चा का केंद्र बना। खाड़ी युद्ध ने न केवल मध्य पूर्व की राजनीति को प्रभावित किया, बल्कि वैश्विक स्तर पर शक्ति संतुलन और तेल आपूर्ति जैसे मुद्दों पर भी गहरा प्रभाव डाला।

खाड़ी युद्ध की पृष्ठभूमि

खाड़ी युद्ध की शुरुआत 2 अगस्त 1990 को इराक द्वारा कुवैत पर आक्रमण से हुई। इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर यह दावा करते हुए हमला किया कि वह इराक का एक हिस्सा है और कुवैत ने तेल के उत्पादन में धांधली की है जिससे इराक की आर्थिक स्थिति खराब हो रही थी। इसके अलावा, इराक कुवैत के तेल संसाधनों पर नियंत्रण चाहता था जिससे वह अपनी गिरती अर्थव्यवस्था को संभाल सके।

कुवैत पर कब्जे के बाद, इराक ने इसे अपना 19वां प्रांत घोषित कर दिया। इस कदम ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता पैदा की और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इराक के इस कदम की कड़ी निंदा की। कई देशों ने इसे एक संप्रभु देश की अखंडता पर आक्रमण मानते हुए इराक को कुवैत से हटने की चेतावनी दी।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और सैन्य कार्रवाई

इराक के कुवैत पर कब्जा करने के बाद, संयुक्त राष्ट्र ने एक व्यापक आर्थिक प्रतिबंध लगाया और इराक को कुवैत से बाहर निकालने के लिए 15 जनवरी 1991 की समय सीमा तय की। जब इराक ने इस समय सीमा का पालन नहीं किया, तो अमेरिका के नेतृत्व में 34 देशों के एक गठबंधन ने इराक के खिलाफ सैन्य कार्रवाई शुरू की। इस अभियान को “ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म” के नाम से जाना गया।

17 जनवरी 1991 को इस ऑपरेशन की शुरुआत हवाई हमलों से हुई, जिसमें गठबंधन सेनाओं ने इराक की वायु शक्ति और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया। अगले चरण में, 24 फरवरी 1991 को जमीनी युद्ध शुरू हुआ, जिसमें इराकी सेना को कुवैत से बाहर धकेल दिया गया। मात्र 100 घंटों के भीतर, इराकी सेना को भारी नुकसान झेलना पड़ा और कुवैत को मुक्त कर दिया गया।

युद्ध के परिणाम

  1. कुवैत की स्वतंत्रता: खाड़ी युद्ध के परिणामस्वरूप कुवैत को इराकी कब्जे से मुक्त कर दिया गया। इससे क्षेत्रीय स्थिरता में सुधार हुआ और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति स्थापना का संदेश गया।
  2. सद्दाम हुसैन का प्रभाव: यद्यपि इराक युद्ध हार गया, लेकिन सद्दाम हुसैन की सत्ता बरकरार रही। इराक पर लगे प्रतिबंधों ने उसकी आर्थिक स्थिति को और बदतर कर दिया, जिससे वहां जनता के बीच असंतोष बढ़ा।
  3. तेल उद्योग पर प्रभाव: खाड़ी क्षेत्र तेल उत्पादन का प्रमुख केंद्र है। युद्ध के दौरान तेल के कुओं को जलाने और उत्पादन में रुकावट आने से वैश्विक तेल बाजार प्रभावित हुआ। इसके बाद तेल की कीमतों में अस्थिरता देखने को मिली।
  4. संयुक्त राष्ट्र की भूमिका: खाड़ी युद्ध ने संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को मजबूत किया, जहां उसने संप्रभुता की रक्षा और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन को सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम किया।

खाड़ी युद्ध के दीर्घकालिक प्रभाव

  1. मध्य पूर्व में अस्थिरता: खाड़ी युद्ध ने मध्य पूर्व की राजनीति में अस्थिरता को और बढ़ाया। इसके बाद के वर्षों में इराक में विद्रोह, गृहयुद्ध, और आतंकवाद का प्रसार देखने को मिला। इराकी जनता के लिए यह एक कठिन दौर था जिसमें आर्थिक प्रतिबंधों के कारण गरीबी, बेरोजगारी, और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा।
  2. अमेरिकी प्रभाव का विस्तार: खाड़ी युद्ध ने अमेरिका के वैश्विक प्रभाव को और मजबूत किया। इस युद्ध के बाद मध्य पूर्व में अमेरिका की सैन्य उपस्थिति बढ़ी और इस क्षेत्र में उसकी भूमिका और भी प्रभावशाली हो गई।
  3. सैन्य तकनीक और रणनीति में सुधार: खाड़ी युद्ध के दौरान हाई-टेक हथियारों और स्मार्ट बमों का उपयोग किया गया। इस युद्ध ने आधुनिक युद्ध की रणनीतियों और प्रौद्योगिकियों के महत्व को रेखांकित किया, जो बाद के वर्षों में अन्य संघर्षों में भी देखने को मिला।
  4. मानवाधिकार और खाड़ी युद्ध अपराध: युद्ध के दौरान इराक की सेना द्वारा कुवैत में मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ। कुवैत के नागरिकों पर अत्याचार और संपत्तियों की लूटपाट ने मानवाधिकारों के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाई।

निष्कर्ष

खाड़ी युद्ध एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है जिसने अंतरराष्ट्रीय राजनीति, आर्थिक संरचना, और सैन्य रणनीति पर दीर्घकालिक प्रभाव डाला। इस युद्ध ने दुनिया को यह दिखाया कि क्षेत्रीय संघर्ष कैसे वैश्विक शक्तियों को आपस में जोड़ सकते हैं और किस तरह से आर्थिक और राजनीतिक मुद्दे बड़े संघर्षों का कारण बन सकते हैं। खाड़ी युद्ध से मिले सबक आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और वैश्विक शांति स्थापना के लिए महत्वपूर्ण साबित हुए हैं।

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