gut nirpeksh andolan

In this post we are going to discuss about the गुट निरपेक्ष आंदोलन​

गुट निरपेक्ष आंदोलन: इतिहास, उद्देश्य और महत्व

गुट निरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement – NAM) 20वीं शताब्दी के मध्य में उभरा एक महत्वपूर्ण वैश्विक संगठन है। इस आंदोलन का उद्देश्य वैश्विक शक्ति संतुलन बनाए रखना और उन देशों को एक मंच प्रदान करना था जो शीत युद्ध के दौरान किसी भी महाशक्ति गुट—अमेरिका या सोवियत संघ—में शामिल नहीं होना चाहते थे। इस आंदोलन ने स्वतंत्रता, संप्रभुता और वैश्विक शांति को बढ़ावा देने का प्रयास किया।

गुट निरपेक्ष आंदोलन की पृष्ठभूमि

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, दुनिया में दो प्रमुख शक्ति गुट बने: एक ओर अमेरिका और उसके सहयोगी थे, जो पूंजीवाद का समर्थन करते थे, और दूसरी ओर सोवियत संघ और उसके सहयोगी थे, जो समाजवाद का समर्थन करते थे। इस संघर्ष को शीत युद्ध के रूप में जाना गया। ऐसे में कई विकासशील और नवस्वतंत्र देशों ने खुद को किसी भी गुट का हिस्सा बनाने से बचाने के लिए एक स्वतंत्र नीति अपनाने का निर्णय लिया। यहीं से गुट निरपेक्ष आंदोलन की नींव पड़ी।

गुट निरपेक्ष आंदोलन की स्थापना

गुट निरपेक्ष आंदोलन की औपचारिक स्थापना 1961 में यूगोस्लाविया के बेलग्रेड में हुई थी। इस सम्मेलन में 25 देशों ने भाग लिया, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, यूगोस्लाविया के जोसिप ब्रोज़ टिटो, मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्दुल नासर, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो और घाना के राष्ट्रपति क्वामे नक्रूमा मुख्य नेताओं में से थे। ये सभी नेता अपने-अपने देशों की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता को बनाए रखने के पक्षधर थे और शीत युद्ध की खींचतान से दूर रहना चाहते थे।

गुट निरपेक्ष आंदोलन के उद्देश्य

  1. वैश्विक शांति और सुरक्षा का समर्थन: गुट निरपेक्ष आंदोलन का प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय शांति को बनाए रखना और गुटों में बंटी दुनिया से दूर रहकर संघर्षों को टालना था।
  2. स्वतंत्रता और संप्रभुता की सुरक्षा: इस आंदोलन ने नवस्वतंत्र देशों को अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा करने में मदद की, ताकि वे बाहरी हस्तक्षेप से बच सकें।
  3. औपनिवेशिकता का विरोध: आंदोलन ने उपनिवेशवाद, नस्लवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ आवाज उठाई और सभी देशों को अपनी नीतियां स्वतंत्र रूप से तय करने का समर्थन किया।
  4. आर्थिक सहयोग और विकास: गुट निरपेक्ष आंदोलन ने विकासशील देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा दिया और दक्षिण-दक्षिण सहयोग का समर्थन किया।

भारत और गुट निरपेक्ष आंदोलन

भारत गुट निरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक देशों में से एक है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसकी विचारधारा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नेहरू का मानना था कि भारत को अपनी विदेश नीति में स्वतंत्र रहकर अपने राष्ट्रीय हितों का संरक्षण करना चाहिए। इस दृष्टिकोण ने भारत को शीत युद्ध की खेमेबाजी से दूर रखा और उसे एक स्वतंत्र नीति अपनाने की सुविधा दी।

गुट निरपेक्ष आंदोलन के सिद्धांत

गुट निरपेक्ष आंदोलन के पांच प्रमुख सिद्धांत हैं:

  1. आपसी सम्मान और संप्रभुता की मान्यता।
  2. एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना।
  3. समानता और परस्पर लाभकारी संबंध।
  4. शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व।
  5. सैन्य गठबंधनों से दूरी बनाए रखना।

गुट निरपेक्ष आंदोलन की चुनौतियां:

  1. शीत युद्ध की समाप्ति: 1991 में सोवियत संघ के विघटन के साथ शीत युद्ध समाप्त हो गया, जिससे आंदोलन की प्रासंगिकता पर सवाल उठने लगे।
  2. वैश्विक समस्याएं: जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, और आर्थिक असमानता जैसी समस्याओं ने आंदोलन की दिशा और प्रभाव पर दबाव डाला।
  3. आंतरिक विभाजन: आंदोलन में शामिल देशों के बीच मतभेद और उनकी बदलती प्राथमिकताओं ने इसे कमजोर किया।

गुट निरपेक्ष आंदोलन का वर्तमान और भविष्य

हालांकि शीत युद्ध समाप्त हो चुका है, लेकिन गुट निरपेक्ष आंदोलन अभी भी महत्वपूर्ण है। वर्तमान में इसमें 120 सदस्य देश और 17 पर्यवेक्षक देश शामिल हैं। यह मंच विकासशील देशों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए एक सशक्त माध्यम है। इसके सदस्य वैश्विक स्तर पर राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर सामूहिक रूप से आवाज उठाते हैं।

आज के संदर्भ में, आंदोलन का फोकस अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में बहुपक्षीयता को बढ़ावा देना, आर्थिक असमानता को कम करना, और विकासशील देशों के लिए वैश्विक मंच पर न्यायपूर्ण अवसर सुनिश्चित करना है।

निष्कर्ष

गुट निरपेक्ष आंदोलन ने वैश्विक राजनीति में एक संतुलन बनाए रखने और विकासशील देशों को अपनी स्वतंत्र नीतियां अपनाने में मदद की है। यद्यपि आज के बदलते विश्व परिदृश्य में इसकी चुनौतियां बढ़ गई हैं, फिर भी इसका मूल उद्देश्य—स्वतंत्रता, संप्रभुता और शांति—अभी भी प्रासंगिक है। अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो यह आंदोलन विकासशील देशों के लिए आने वाले समय में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

गुट निरपेक्ष आंदोलन का इतिहास और इसके उद्देश्य हमें यह सिखाते हैं कि दुनिया में शांति, समानता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए गुटबंदी से दूर रहना कितना महत्वपूर्ण है।

Thanks to visiting Digi Different you can also visit my YouTube channel Digi Different for tech and digital marketing related to videos. In this post we have discussed about the गुट निरपेक्ष आंदोलन  Read our more posts NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 1NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 1 पद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *