प्रथम खाड़ी युद्ध

In this post we are going to discuss about the प्रथम खाड़ी युद्ध

परिचय

प्रथम खाड़ी युद्ध, जिसे ‘ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म’ के नाम से भी जाना जाता है, 1990-1991 के दौरान हुआ था। यह युद्ध मुख्य रूप से इराक और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के नेतृत्व में गठबंधन बलों के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध की जड़ें इराक द्वारा कुवैत के आक्रमण में थीं, जिसने वैश्विक स्तर पर अस्थिरता और युद्ध की स्थिति पैदा की। इस लेख में हम प्रथम खाड़ी युद्ध के कारण, घटनाक्रम और इसके परिणामों पर चर्चा करेंगे।

युद्ध के कारण

1980 के दशक के अंत तक, इराक और ईरान के बीच एक लंबा और विनाशकारी युद्ध चला। इस युद्ध के बाद इराक की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई थी। इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने इस आर्थिक संकट से उबरने के लिए कुवैत पर कब्जा करने का निर्णय लिया। कुवैत में विशाल तेल भंडार थे, जिन पर कब्जा करके सद्दाम हुसैन इराक की आर्थिक स्थिति को सुधारना चाहते थे। इसके अलावा, इराक ने कुवैत पर तेल की कीमतों को कम करने का आरोप लगाया, जिससे इराक की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

युद्ध का आरंभ

2 अगस्त 1990 को इराकी सेना ने कुवैत पर आक्रमण किया और कुछ ही घंटों में कुवैत पर कब्जा कर लिया। इस आक्रमण के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में हलचल मच गई। संयुक्त राष्ट्र ने इराक की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की और तुरंत आर्थिक प्रतिबंध लगाए। यूएन ने इराक को कुवैत से हटने के लिए अंतिम चेतावनी दी, लेकिन सद्दाम हुसैन ने इस चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया।

ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म

जब इराक ने यूएन की चेतावनी को अनदेखा कर दिया, तब 17 जनवरी 1991 को संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में गठबंधन बलों ने ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म शुरू किया। यह ऑपरेशन वायु और जल सेना के माध्यम से इराक पर व्यापक हमला करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य इराकी सेना को कुवैत से बाहर निकालना और क्षेत्रीय स्थिरता को पुनर्स्थापित करना था।

युद्ध का घटनाक्रम

ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म के तहत गठबंधन बलों ने इराकी सेना पर भीषण बमबारी की। यह हवाई हमला तकनीकी दृष्टि से बहुत उन्नत था और इराकी रक्षा प्रणाली को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। इसके बाद, गठबंधन बलों ने ज़मीनी हमला शुरू किया। केवल 100 घंटों के भीतर, गठबंधन बलों ने इराकी सेना को पराजित कर दिया और कुवैत को मुक्त करवा लिया।

युद्ध के परिणाम

प्रथम खाड़ी युद्ध के परिणामस्वरूप इराक को भारी नुकसान उठाना पड़ा। कुवैत की मुक्ति के साथ ही इराकी सेना को भारी क्षति पहुंची, और इराक की आर्थिक स्थिति और खराब हो गई। युद्ध के बाद इराक पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए, जिससे वहां की जनता को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

दूसरी ओर, इस युद्ध ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति और सुरक्षा के नए मानदंड स्थापित किए। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सैन्य शक्ति और संगठनात्मक क्षमताओं का प्रदर्शन हुआ। साथ ही, इस युद्ध ने यह भी स्पष्ट किया कि वैश्विक तेल आपूर्ति और सुरक्षा पर कब्जा करने का कोई भी प्रयास अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

निष्कर्ष

प्रथम खाड़ी युद्ध ने वैश्विक राजनीति और सुरक्षा के ढांचे को बदल दिया। इस युद्ध ने सद्दाम हुसैन के इराक को एक मजबूत संदेश दिया कि अंतरराष्ट्रीय कानून और संधियों का उल्लंघन करना गंभीर परिणाम ला सकता है। यह युद्ध न केवल मध्य पूर्व की स्थिरता के लिए बल्कि वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। इस युद्ध ने यह भी स्पष्ट किया कि संयुक्त राष्ट्र की भूमिका अंतरराष्ट्रीय विवादों के समाधान में कितनी महत्वपूर्ण है।

इस प्रकार, प्रथम खाड़ी युद्ध एक ऐसा ऐतिहासिक प्रकरण है जिसने न केवल उस समय के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित किया, बल्कि इसके प्रभाव आज भी महसूस किए जाते हैं।

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