In this post we are going to discuss about the क्रिप्स मिशन (Cripps Mission)
क्रिप्स मिशन (Cripps Mission)
क्रिप्स मिशन (Cripps Mission) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण और जटिल अध्याय है। यह मिशन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1942 में भारत भेजा गया था। इसका उद्देश्य भारत में ब्रिटिश शासन के प्रति बढ़ते असंतोष को शांत करना और भारतीय नेताओं को युद्ध के प्रयासों में सहयोग के लिए प्रोत्साहित करना था। हालांकि, यह मिशन असफल रहा, लेकिन इसने भारत की स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ प्रदान किया।
क्रिप्स मिशन में कितने सदस्य थे?
क्रिप्स मिशन (Cripps Mission) का नेतृत्व सर स्टैफोर्ड क्रिप्स ने किया था, जो ब्रिटिश कैबिनेट के एक प्रमुख सदस्य थे। मिशन में कुल पांच सदस्य थे। इनमें मुख्य रूप से राजनैतिक और सैन्य सलाहकार शामिल थे, जिन्होंने भारतीय नेताओं के साथ बातचीत की।
क्रिप्स मिशन भारत कब आया था?
क्रिप्स मिशन (Cripps Mission) 22 मार्च 1942 को भारत आया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, ब्रिटिश सरकार ने भारत को युद्ध में शामिल किया था, लेकिन भारतीय नेताओं को विश्वास में नहीं लिया गया था। इसके परिणामस्वरूप भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार के इस कदम का विरोध किया और पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की। इस स्थिति को संभालने और भारतीय नेताओं को संतुष्ट करने के लिए क्रिप्स मिशन भारत भेजा गया।
क्रिप्स मिशन भारत क्यों आया था?
क्रिप्स मिशन (Cripps Mission) के भारत आने का मुख्य उद्देश्य भारतीय नेताओं को द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश सरकार का समर्थन करने के लिए राजी करना था। ब्रिटिश सरकार ने सोचा कि अगर भारतीय नेताओं को कुछ रियायतें दी जाएं तो वे युद्ध में सहयोग करने के लिए तैयार हो जाएंगे। इसके साथ ही, भारतीय नेताओं के बढ़ते असंतोष को कम करना और भारतीय जनता को संतुष्ट करना भी मिशन का उद्देश्य था।
क्रिप्स मिशन के सदस्य कौन कौन थे?
क्रिप्स मिशन (Cripps Mission) में कुल पाँच प्रमुख सदस्य शामिल थे:
- सर स्टैफोर्ड क्रिप्स: मिशन के प्रमुख, जो ब्रिटिश कैबिनेट में सदस्य थे।
- सर पेथिक-लॉरेंस: ब्रिटिश सांसद और भारतीय मामलों के विशेषज्ञ।
- अलेक्जेंडर कैडोगन: विदेश कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी।
- सर रिचर्ड गार्डिनर: वित्त विशेषज्ञ।
- विलियम ऑलफेयर: रक्षा विशेषज्ञ।
क्रिप्स मिशन के प्रमुख प्रस्ताव क्या थे?
क्रिप्स मिशन (Cripps Mission) ने भारत के नेताओं के सामने निम्नलिखित प्रमुख प्रस्ताव रखे:
- डोमिनियन स्टेटस: युद्ध के बाद भारत को एक डोमिनियन का दर्जा दिया जाएगा, जो ब्रिटिश कॉमनवेल्थ के भीतर होगा।
- संविधान सभा: युद्ध समाप्त होने के बाद एक संविधान सभा का गठन किया जाएगा, जिसमें भारतीय प्रतिनिधि होंगे, और यह सभा भारत का नया संविधान तैयार करेगी।
- राज्यों की स्थिति: भारतीय रियासतों को यह स्वतंत्रता होगी कि वे संविधान सभा में शामिल होना चाहें या न चाहें।
- अल्पसंख्यकों के अधिकार: अल्पसंख्यकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, उनके अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी दी जाएगी।
क्रिप्स मिशन की असफलता के कारण
क्रिप्स मिशन (Cripps Mission) की असफलता के कई कारण थे:
- विश्वास की कमी: भारतीय नेताओं को ब्रिटिश सरकार पर विश्वास नहीं था। वे यह मानते थे कि ब्रिटिश सरकार भारतीयों को पूर्ण स्वतंत्रता देने के लिए गंभीर नहीं है।
- अस्पष्ट प्रस्ताव: मिशन के प्रस्ताव अस्पष्ट और अधूरे थे। इनमें भारतीय जनता की वास्तविक स्वतंत्रता की मांग का स्पष्ट उत्तर नहीं था।
- समय का चुनाव: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस मिशन का आना भी एक कारण था। भारतीय नेता युद्ध के समय को स्वतंत्रता के लिए सही समय नहीं मानते थे।
भारतीय नेताओं की प्रतिक्रिया
क्रिप्स मिशन (Cripps Mission) के प्रस्तावों को भारतीय नेताओं ने अस्वीकार कर दिया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने इन प्रस्तावों को खारिज कर दिया।
- महात्मा गांधी ने क्रिप्स मिशन के प्रस्तावों को “अधूरे चेक” की संज्ञा दी। उनका मानना था कि यह प्रस्ताव भारतीय जनता की वास्तविक स्वतंत्रता की मांग को पूरा नहीं करते हैं।
- जवाहरलाल नेहरू और अन्य कांग्रेस नेताओं ने भी इन प्रस्तावों को अपर्याप्त माना और कहा कि ये प्रस्ताव भारतीयों की आत्मनिर्भरता और संप्रभुता की मांग को नजरअंदाज करते हैं।
- मुस्लिम लीग ने भी इस मिशन को अस्वीकार किया क्योंकि उनके दृष्टिकोण से यह प्रस्ताव मुसलमानों की सुरक्षा और पृथक राज्य की मांग को पूरा नहीं करता था।
क्रिप्स मिशन के प्रभाव और महत्व
हालांकि क्रिप्स मिशन असफल रहा, लेकिन इसके कई महत्वपूर्ण प्रभाव हुए:
- भारत छोड़ो आंदोलन: क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की शुरुआत की, जिसने स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी।
- स्वतंत्रता की दिशा में अग्रसर: इस मिशन ने भारतीय नेताओं और जनता को यह एहसास दिलाया कि केवल सशक्त आंदोलन ही उन्हें स्वतंत्रता दिला सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय ध्यान: इस मिशन ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रमुखता दी। विश्व ने देखा कि भारतीय जनता किस प्रकार अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रही है।
निष्कर्ष
क्रिप्स मिशन (Cripps Mission) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण और जटिल अध्याय है। इस मिशन ने भारतीय नेताओं को यह स्पष्ट कर दिया कि ब्रिटिश सरकार केवल अस्थायी समाधान के पक्ष में है और उनकी वास्तविक स्वतंत्रता की मांग को नजरअंदाज कर रही है। इस मिशन की असफलता ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को और अधिक सशक्त और संगठित बना दिया।
क्रिप्स मिशन (Cripps Mission) ने भारतीय जनता और नेताओं को यह सिखाया कि उनकी स्वतंत्रता केवल उनकी अपनी शक्ति और संकल्प के माध्यम से ही संभव है। इसका प्रभाव भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर गहरा और स्थायी रहा, जिसने अंततः 1947 में भारत को स्वतंत्रता दिलाई।
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