In this post we are going to discuss about the शीतयुद्ध क्या है? (Cold War)
शीतयुद्ध क्या है? (Cold War)
शीतयुद्ध (Cold War) एक ऐसा काल था जिसमें अमेरिका और सोवियत संघ के बीच व्यापक राजनीतिक, आर्थिक, और वैचारिक संघर्ष था। यह संघर्ष द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से लेकर 1991 में सोवियत संघ के विघटन तक चला। इस युद्ध में सीधे सैन्य टकराव की बजाय प्रॉक्सी युद्ध, राजनीतिक दांव-पेंच, और आर्थिक प्रतिबंधों का सहारा लिया गया।
शीतयुद्ध की पृष्ठभूमि
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, जब दुनिया दो महाशक्तियों—अमेरिका और सोवियत संघ—में विभाजित हो गई, तब शीतयुद्ध(Cold War) की शुरुआत हुई। दोनों देशों के बीच वैचारिक अंतर था: अमेरिका पूंजीवादी था जबकि सोवियत संघ साम्यवादी। यह वैचारिक संघर्ष धीरे-धीरे दुनिया के बाकी देशों को भी प्रभावित करने लगा।
प्रमुख घटनाएं और संघर्ष
- बर्लिन संकट (1948-1949):
बर्लिन की नाकेबंदी एक महत्वपूर्ण घटना थी जिसमें सोवियत संघ ने पश्चिमी बर्लिन के सभी मार्गों को बंद कर दिया। पश्चिमी शक्तियों ने हवाई मार्ग से खाद्य और आवश्यक वस्त्रों की आपूर्ति करके इस संकट को दूर किया। - कोरिया युद्ध (1950-1953):
कोरिया युद्ध में उत्तर कोरिया (सोवियत संघ समर्थित) और दक्षिण कोरिया (अमेरिका समर्थित) के बीच संघर्ष हुआ। यह युद्ध बिना किसी निर्णायक परिणाम के समाप्त हुआ, लेकिन दोनों महाशक्तियों के बीच तनाव बढ़ गया। - क्यूबा मिसाइल संकट (1962):
क्यूबा में सोवियत संघ द्वारा मिसाइलें स्थापित करने के कारण अमेरिका और सोवियत संघ के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया। यह संकट परमाणु युद्ध के निकट पहुँच गया था, लेकिन दोनों पक्षों ने समझौते के माध्यम से इसे हल किया। - वियतनाम युद्ध (1955-1975):
वियतनाम युद्ध भी शीतयुद्ध का एक प्रमुख हिस्सा था, जिसमें अमेरिका ने दक्षिण वियतनाम का समर्थन किया और सोवियत संघ ने उत्तर वियतनाम का। यह युद्ध अमेरिका के लिए एक बड़ी हार साबित हुआ। शीतयुद्ध (Cold War)
शीतयुद्ध के परिणाम
- वैश्विक विभाजन:
शीतयुद्ध(Cold War) ने दुनिया को दो खेमों में बांट दिया था—एक तरफ अमेरिका और उसके नाटो सहयोगी, और दूसरी तरफ सोवियत संघ और उसके वारसा संधि सहयोगी। - परमाणु हथियारों की होड़:
इस दौर में दोनों महाशक्तियों ने बड़े पैमाने पर परमाणु हथियारों का निर्माण किया। यह होड़ इतनी तीव्र थी कि दोनों पक्षों के पास धरती को कई बार नष्ट करने की क्षमता हो गई थी। - अंतरिक्ष दौड़:
शीतयुद्ध(Cold War) के दौरान अंतरिक्ष दौड़ भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र था जिसमें दोनों महाशक्तियों ने प्रतिस्पर्धा की। सोवियत संघ ने 1957 में स्पुतनिक उपग्रह लॉन्च करके अंतरिक्ष में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जबकि अमेरिका ने 1969 में चंद्रमा पर मानव भेजकर अपने वर्चस्व को साबित किया। - आर्थिक प्रतिबंध और नीतियां:
दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए और विभिन्न देशों को अपने प्रभाव में लेने के लिए आर्थिक सहायता दी।
शीतयुद्ध का अंत
शीतयुद्ध (Cold War) का अंत 1989 में बर्लिन दीवार गिरने और 1991 में सोवियत संघ के विघटन के साथ हुआ। गोर्बाचेव की पेरेस्त्रोइका और ग्लासनोस्त नीतियों ने सोवियत संघ के भीतर सुधार की प्रक्रिया शुरू की, जिससे उसके विघटन की राह प्रशस्त हुई।
निष्कर्ष
शीतयुद्ध (Cold War) ने आधुनिक इतिहास पर गहरा प्रभाव डाला है। इसने राजनीतिक, आर्थिक, और सामाजिक परिवर्तनों को जन्म दिया। इसके परिणामस्वरूप दुनिया में वैचारिक संघर्ष बढ़ा, लेकिन साथ ही तकनीकी और वैज्ञानिक उन्नति भी हुई। शीतयुद्ध (Cold War) की विरासत आज भी वैश्विक राजनीति में दिखाई देती है, जहां विभिन्न देशों के बीच शक्ति संतुलन और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा बनी रहती है। शीतयुद्ध (Cold War)
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